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यूपी में साप्ताहिक बंदी से जल्द मिल सकती है राहत

कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी जान के साथ जहान को बचाने की चिंता जताई है। संक्रमण काल में भी उद्योग समेत तमाम आर्थिक और विकास संबंधी गतिविधियों को जारी रखा। फिर कोरोना जैसे-जैसे कमजोर होता गया, कोरोना कर्फ्यू की बंदिशें ढीली की जाती रहीं। अब प्रदेशवासियों को दो दिन की साप्ताहिक बंदी से भी राहत की प्रतीक्षा है। चूंकि मामले काफी घट गए हैं और स्थिति यूं ही नियंत्रण में रही तो विशेषज्ञों का इशारा मिलते ही सरकार एक दिन की साप्ताहिक बंदी का फैसला कर सकती है।

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर प्रलयकारी हुई तो लाकडाउन में देश के अन्य राज्यों की तरह प्रदेश में भी विभिन्न गतिविधियां प्रतिबंधित कर दी गईं। बाजारों या सार्वजनिक स्थानों पर भीड़भाड़ रोकने के लिए चरणवार तरीके से शुक्रवार, शनिवार और रविवार की साप्ताहिक बंदी लगा दी गई। फिर जब कोरोना का प्रभाव कम हुआ तो सरकार ने बाजार, मॉल, मल्टीप्लेक्स, दफ्तर खोलने के साथ साप्ताहिक बंदी को भी घटाकर दो दिन का कर दिया। अब चूंकि प्रदेश में कोरोना पूरी तरह से काबू में नजर आ रहा है, इसलिए सरकार ने माध्यमिक और उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई शुरू करने का भी फैसला कर लिया।

यूं धीरे-धीरे लगभग सभी प्रतिबंध लगभग खत्म हो चुके हैं। ऐसे में प्रदेशवासियों को साप्ताहिक बंदी से भी राहत का इंतजार है। व्यापारी-कारोबारी इसलिए ऐसा चाहते हैं, क्योंकि अधिकांश नौकरीपेशा लोग वीकेंड पर ही खरीदारी के लिए निकलते हैं। उन दो दिनों में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहने से कारोबार प्रभावित हो रहा है। वहीं, आमजन की समस्या भी इसी से जुड़ी है। बाकी दिन कामकाज के होते हैं। शनिवार और रविवार ही खरीदारी आदि के लिए मिलते हैं।

वहीं, सरकार इसलिए सतर्कता बरत रही है, क्योंकि अगस्त मध्य या अंत में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर कुछ विशेषज्ञ अंदेशा जता चुके हैं। संभव है कि अगस्त तक स्थिति पर नजर रखी जाए। इस दौरान संक्रमण के मामले न बढ़े तो तय है कि साप्ताहिक बंदी से छूट दे दी जाए।

मुख्य सचिव आरके तिवारी का कहना है कि सरकार भी चाहती है कि आमजन को हर तरह से राहत मिले, लेकिन स्वास्थ्य की चिंता भी करनी ही होगी। कोरोना के केस तो घटे हैं, लेकिन संक्रमण के वैरिएंट के अनुसार विशेषज्ञों की रिपोर्ट का इंतजार है। तीसरी लहर की आशंका खत्म हो जाए, तभी साप्ताहिक बंदी को लेकर कुछ निर्णय लिया जाए।

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