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16 जनवरी को ही बीसीसीआई ने लिख दी थी धोनी के रिटायरमेंट की कहानी



मुख्य चयनकर्ता ने कहा, हम आगे बढ़ चुके हैं, भविष्य ऋषभ पंत का हैं
 नई दिल्ली: -15 अगस्त 2020 के दिन जब महेंद्र सिंह धोनी ने अचानक इंस्टाग्राम पर सन्यास का एलान किया। इससे उन लोगों को बड़ा झटका लगा, जो उन्हें अभी भी आगे खेलते देखना चाहते थे। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीसीसीआई से मांग भी की हैं, कि धोनी जैसे महान खिलाड़ी को इस तरह से रिटायर नहीं होना चाहिए। उन्हें रांची में एक फेयरवेल मैच खिलाना चाहिए। धोनी ने अपने सन्यास का एलान भले ही आज किया हो, लेकिन इसकी पटकथा 16 जनवरी से ही लिख दी गई थी। जब बीसीसीआई ने उन्हें सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से बाहर कर दिया था। बीसीसीआई ने इस कांट्रेक्ट में 27 खिलाड़ियों को जगह दी थी, जिसमें धोनी नहीं थे। धोनी इससे पहले ए ग्रेड में शामिल थे। यहीं से कयास लगने शुरू हो गए थे कि अब धोनी जल्द ही संन्यास ले सकते हैं। यहीं नहीं जब पिछले साल बांग्लादेश के साथ सीरीज का एलान किया गया। तो, उसमें भी एमएस को जगह नहीं दी गई। मुख्य चयनकर्ता एसएसके प्रसाद ने उसी दौरान कह दिया था कि, 'हम आगे बढ़ चुके हैं। हम अपने विचारों में साफ हैं। विश्व कप के बाद से हम साफ हैं। हमने ऋषभ पंत का समर्थन करना शुरू किया और उन्हें अच्छा करते हुए देखा।' खुले तौर पर धोनी की जगह पंत का समर्थन करने से ये जाहिर हो गया था कि अब माही शायद ही वापसी कर पाएंगे।
बीसीसीआई का यह रवैया केवल धोनी के साथ नहीं था बल्कि सभी पुराने खिलाड़ियों के साथ यहीं किया जाता हैं। जो खिलाड़ी बहुत ज्यादा अनुभवी होते हैं और उन्हें खुद टीम से बाहर नहीं किया जा सकता। उनके लिए ऐसे ही शब्दों का प्रयोग करना शुरू कर दिया जाता हैं, जिससे वे खुद रिटायर हो जाएं। सचिन तेंदुलकर हो या वीवीएस लक्ष्मण सभी के साथ यहीं व्यवहार किया गया।

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