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रूसी कोरोना वैक्सीन का सच

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जिस कोरोना वैक्सीन के सफल होने का ऐलान किया था, उसकी जांच सिर्फ 38 लोगों पर की गई थी. रूस के आधिकारिक दस्तावेजों के हवाले से डेली मेल की रिपोर्ट में ये खुलासा किया गया है. वहीं, वैक्सीन के कई साइड इफेक्ट्स की जानकारी भी सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 38 लोगों पर जांच के बाद वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई. रूस की कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट के तौर पर दर्द, स्वेलिंग, हाई फीवर की तकलीफ देखने को मिली है. वहीं, कमजोरी महसूस करना, एनर्जी की कमी, भूख नहीं लगना, सिर दर्द, डायरिया, नाक बंद होना, गला खराब होना और नाक बहने जैसी शिकायतें भी रिपोर्ट की गई हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूसी अधिकारियों ने सिर्फ 42 दिन के रिसर्च के बाद वैक्सीन को मंजूरी दे दी. इसी वजह से यह पता नहीं चल सका है कि वैक्सीन कितनी अधिक प्रभावी है. वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए जो कागजात दिए गए थे, उनमें लिखा था कि महामारी पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर कोई भी क्लिनिकल स्टडी नहीं हुई है. हालांकि, पुतिन ने कहा था कि वैक्सीन सभी जरूरी टेस्ट में पास हो गई है. रूस ने अपनी कोरोना वैक्सीन का नाम Sputnik V रखा है और कई देशों में सप्लाई की तैयार भी कर रहा है. हालांकि, दुनियाभर के कई वैज्ञानिकों ने रूस के कदम की कड़ी आलोचना की है. वैज्ञानिकों को डर है कि वैक्सीन गलत या खतरनाक साबित होने पर महामारी और विकराल रूप ले सकती है.

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