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पराली जलाने पर दर्ज होगा मुकदमा

मऊ : कोरोना संक्रमण से पूरा देश जूझ रहा है। आक्सीजन की कमी से हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में जनपद के किसान हार्वेस्टर से गेहूं की कटाई कर उसकी पराली जलाने में जुटे हुए हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने सभी एसडीएम को निर्देश जारी कर दिए हैं कि किसी भी कीमत पर पराली जलनी नहीं चाहिए। ऐसे में संबंधित एसडीएम अपने-अपने नायब तहसीलदारों, कानूनगों व लेखपाल की टीम की गठित कर क्षेत्र की निगरानी करवाएं। किसी भी दोषी को बख्शा न जाएं। इसे लेकर सभी एसडीएम अपने-अपने क्षेत्रों के किसानों को पराली न जलाने की हिदायत दे चुके है। इसके बावजूद चोरी छिपे कुछ लोग इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं। हर साल खासकर मक्का एवं गेहूं की कटाई के पश्चात अधिकांश किसान फसल के बचे अवशेषों को खेतों में ही जला दिया करते हैं। इस परिस्थिति में कृषि विशेषज्ञों की मानें तो इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है। साथ ही मिट्टी के सेहत पर भी जहां काफी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। खेतों में पराली जलाने के साथ मिट्टी में मौजूद मित्र कीट भी समाप्त हो जाते हैं। इसका खामियाजा किसानों को अगले फसल के उत्पादन के समय उठाना पड़ता है। यही नहीं वातावरण भी पूरी तरह से प्रदूषित होता है। इससे तमाम विकृतियां भी फैलती हैं। 

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