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10वीं परीक्षा को लेकर नया अपडेट, कमेटी तय करेगी स्टूडेंट्स को कैसे किया जाए प्रमोट

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के हाईस्कूल के परीक्षार्थियों को प्रोन्नत करने का निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ले लिया है। 29.94 लाख परीक्षार्थियों को किस तरह से प्रोन्नत किया जाए, इसके लिए शासन ने कमेटी भी गठित कर दी है। विशेष सचिव उदयभान त्रिपाठी की अगुवाई में माध्यमिक शिक्षा व यूपी बोर्ड के अफसरों को कमेटी में रखा गया है।

यह कमेटी तय करेगी कि परीक्षार्थियों को दिए जाने वाले परीक्षा परिणाम पर विषयवार अंक दिए जाएं या फिर उन्हें प्रोन्नत लिखकर ही अंकपत्र का वितरण हो, या फिर इसके अलावा भी कोई रास्ता हो सकता है? इसके लिए शासन ने सबसे पहले माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडेय से विस्तृत प्रस्ताव शासन ने मांगा है। पांडेय यूपी बोर्ड के सभापति भी हैं। प्रस्ताव मिलने के बाद कमेटी अंक पत्र के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करेगी। संकेत है कि जून के पहले सप्ताह में ही निदेशक की ओर से शासन को प्रस्ताव सौंपा जा सकता है।

ज्ञात हो कि यूपी बोर्ड पहले ही 10वीं के प्रीबोर्ड व छमाही और नौवीं परीक्षा में छात्र-छात्राओं को अंक मांग चुकी है। हर छात्र-छात्रा भले ही वह व्यक्तिगत परीक्षार्थी ही क्यों न हो का पिछला अंकपत्र बोर्ड के पास है। उसी आधार पर परीक्षा परिणाम तैयार करने का निर्णय किया जाएगा। परीक्षार्थियों में यह कौतूहल भी है कि बोर्ड उन्हें प्रथम, द्वितीय, तृतीय श्रेणी, ग्रेडिंग के आधार पर प्रमोट करेगा या फिर अंकपत्र में प्रोन्नत ही दर्ज रहेगा? इसका निदान जल्द कमेटी करेगी।

अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा की ओर से भेजे पत्र में यह भी पूछा गया है कि कोरोना संक्रमण से अनुकूल परिस्थिति होने पर यदि इंटर की परीक्षा जुलाई के दूसरे सप्ताह में होती है तो कोविड से बचाव के सभी प्रोटोकाल व शारीरिक दूरी का पालन करते हुए परीक्षा कैसे कराई जाएगी, इसका भी प्रस्ताव दिया जाए।

जिला समिति तीन दिन में करेगी निस्तारण : प्रदेश के सभी शिक्षा बोर्डों से संबद्ध मान्यता प्राप्त विद्यालयों के कक्षा छह, सात, आठ, नौ, दस व ग्यारह में प्रोन्नत के संबंध में छात्रों या फिर अभिभावकों को यदि कोई शिकायत है तो वे जिलाधिकारी अध्यक्षता में गठित जिला शुल्क नियामक समिति को शिकायती पत्र दें। समिति तीन दिन में शिकायतकर्ता का पक्ष सुनकर प्रकरण का निस्तारण करेगी। इन मामलों का अनुश्रवण जिला विद्यालय निरीक्षक करेंगे। वहीं, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक अपने मंडल में सुचारु व्यवस्था संचालन के लिए उत्तरदायी होंगे।

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