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जीरो-बी ओवरब्रिज की आकृति पर फिर फंसा पेच

मऊ : जिले की 23 लाख आबादी ने जिस ओवरब्रिज के निर्माण को लेकर दशकों संघर्ष किया है उसके निर्माण के लिए शासन से मंजूरी मिलने के बावजूद तकनीकी कांटे निकलने का नाम नहीं ले रहे हैं। दो लेन की बजाय फोरलेन का ओवरब्रिज बनाए जाने का निर्णय लेने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम एवं रेलवे के बीच उसकी आकृति को लेकर एक तकनीकी पेच फंसता नजर आ रहा है। एक छोटे अंडरपास की जरूरत और रेलवे के भविष्य की योजनाएं जीरो-बी ओवरब्रिज की अंतिम जीएडी यानि जनरल अरेंजमेंट ड्राईंग में पुन: परिवर्तन का संकेत करने लगी है।

वाराणसी-भटनी रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण और दोहरीकरण का कार्य प्रगति पर होने के चलते भविष्य में इस मार्ग पर ट्रेनों का दबाव बढ़ना ही बढ़ना है। मऊ जंक्शन से इंदारा के बीच दोहरीकरण का कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया है। ट्रेनों का ट्रैफिक बढ़ने के बाद बाल निकेतन रेलवे क्रासिग पर जो फाटक चौबीस घंटे में 40 बार बंद होता है वह 50 से अधिक बार बंद होगा। ऐसे में इस मार्ग पर आवागमन बिल्कुल ठहर सा जाएगा। रेलवे के अभियंताओं का कहना है कि भविष्य की योजनाओं के दृष्टिगत जीरो-बी क्रासिग पर ओवरब्रिज बनाया जाना रेलवे के लिए तो अनिवार्य है ही शहर के लोगों की भी जरूरत है। सहरोज निवासी समाजसेवी देवप्रकाश राय की जनहित याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय में भी रेलवे व जिला प्रशासन की ओर से बालनिकेतन रेलवे क्रासिग पर ओवरब्रिज निर्माण कर समस्या का निराकरण करने का हलफनामा दिया गया है। बता दें कि अप्रैल 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार भी ओवरब्रिज निर्माण को अपनी मंजूरी दे चुकी है, जिसे लेकर रेलवे व सेतु निगम के इंजीनियर निर्माण की अंतिम रूपरेखा तैयार करने में लगे हैं। ओवरब्रिज की अंतिम आकृति को लेकर रेलवे भविष्य की तकनीकी जरूरतों के मद्देनजर निर्णय ले रहा है। सेतु निगम और रेलवे के बीच फाइनल जीएडी को लेकर मंथन चल रहा है। आकृति में परिवर्तन भी संभव है और वर्तमान आकृति पर भी ओबी बनाया जा सकता है। बहुत जल्द सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।

- आरएस राय, उप परियोजना प्रबंधक, राज्य सेतु निगम।

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