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विजयदशमी पर्व पर पीएम से प्रचारक तक ने, देश में बनी वस्तुओं के उपयोग के लिये किया आह्वान


विजयदशमी पर्व पर पीएम से प्रचारक तक ने, देश में बनी वस्तुओं के उपयोग के लिये किया आह्वान

मऊ:- अत्याचार, लूट, अपहरण, अन्याय आदि के विरुद्ध सत्य, न्याय, दया, करुणा की  जीत का पर्व विजयादशमी और इसी  उद्देश्य  की पूर्ति में लगा हुआ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मऊ द्वारा आज स्थापना- दिवस मनाया गया।  इस अवसर पर एक दिन पहले से ही पूरे नगर क्षेत्र को भगवा रंग के झंडे से सजाया गया फिर नगर के कोने-कोने से सैकड़ों स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में रामस्वरूप भारती इंटर कॉलेज परिसर स्थित मैदान में उपस्थित हुए, और कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करते हुए विजयादशमी उत्सव को हर्ष और उल्लास के साथ मनाया। स्वयंसेवकों ने अपने अस्त्र-शस्त्रों का पूजन किया। 

आज सर संघ चालक मोहन भागवत ने विजयदशमी व स्थापना पर्व, प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने मन की बात में , प्रांत प्रचारक सुभाष जी ने शस्त्र पूजन पर सभी ने मंचो से देश , लोकल उत्पाद के प्रयोग के लिये आह्वान किया।

गोरक्ष प्रांत के प्रान्तप्रचारक सुभाष जी ने बताया कि आज ही के दिन विजयदशमी 1925 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई थी। संघ 95 वर्षों से बुराई पर अच्छाई को प्रतिस्थापित करने के अभियान में लगा हुआ है। आज का उत्सव भी लोगों के शारीरिक, चारित्रिक, मानसिक,सांस्कृतिक एवं सांगठनिक उन्नति का महापर्व मनाया गया। विजयादशमी किसी राजा के विजय के उपलक्ष में नहीं बल्कि रावणत्व पर रामत्व की विजय के उपलक्ष में मनाई जाती है। आज ही के दिन 9 दिन युद्ध करने के पश्चात शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा  ने असुरत्व और बुराई के प्रतीक महिषासुर का वध किया था। हमारी संस्कृति वीरों की पूजा करने वाली संस्कृति है। समाज की उन्नति के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। शस्त्र के अभाव में शास्त्रों की रक्षा असंभव है। इसी उद्देश्य से महर्षि विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को वन लेकर गए।चाणक्य ने इसी उद्देश्य के लिए चंद्रगुप्त मौर्य को प्रशिक्षित किया और इसी दृष्टि से संघ शास्त्र और शस्त्र दोनों की पूजा का संस्कार समाज में डालना चाहता है।

शुभाष जी ने कहा कि यह दिन विजय, शौर्य, संयम,धैर्य, असत्य पर सत्य की विजय शक्ति की पूजा एवं संघ की स्थापना का दिन है। हिंदू समाज पूरे विश्व में अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में विजयदशमी का पर्व मना रहा है। अन्याय एवं अहंकार कितना भी संपन्न समृद्ध हो, सौर्य, धैर्यशील सत्य शील, दृढ़ता के सामने बल क्षमा कृपा धर्म में आचरण के सामने उसे पराजित होना ही पड़ता है।

यही विजयदशमी का संदेश है लोगों को अपना बनाने का गुण हमेशा व्यक्ति को विजयी बनाता है। भारत की भूमि भोग भूमि नहीं बल्कि कर्म और त्याग की भूमि है। भारत कभी भी पराजित नहीं रहा सभी आक्रांताओं का मान मर्दन करने के लिए भारत भूमि ने वीर पुत्रों को जन्म दिया है। विदेशी आक्रांता एक दिन के लिए भी भारत में चैन से शासन नहीं कर पाए। संघर्ष हमेशा जारी रहा अंग्रेजों की गुलामी का प्रतिकार भी मजबूती से होता रहा। मदन लाल, धींगरा सरदार उधम सिंह, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह ,सुभाष चन्द्र बोस आदि धरती पुत्रो ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था।

भारत शक्ति की आराधना करने वाला देश है यह भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों तरह की पूजा करता है। इसलिए यह सोने की चिड़िया के साथ विश्व गुरु भी रहा। हमारे मंदिर अध्यात्म के साथ साथ भौतिक समृद्धि के भी प्रतीक है।मलमल मशाले, पानी के जहाज, उच्च गुणवत्ता की धातुएं भारत में बनाई और दूसरे देशों को निर्यात की जाती थी।

मौर्य वंश एवं 300 वर्षों के गुप्त वंश के शासन में देश भौतिक उन्नति के शीर्ष पर था। देश के बाहर एशिया के अनेक क्षेत्रों पर भी इन का शासन था। हमें गर्व करने की आवश्यकता है कि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम की संस्कृति है। परोपकार की संस्कृति है आध्यात्मिक ऊर्जा की संस्कृति है। देश का अस्तित्व सनातन धर्म पर टिका हुआ है। और इसलिए देश की सीमाओं की रक्षा के लिए आक्रामक होने का मार्ग हमको सनातन धर्म से मिलता है। हम सत्य और न्याय के लिए सनातन काल से लड़ते आए हैं। कलयुग में शक्ति का प्रमुख स्रोत संगठन है। संघ की शक्ति है। इसी दृष्टि से परम्घ पूज्य डा हेडगेवार जी ने संघ का गठन किया और आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा संगठन बन गया है।

समारोह में नगर के सभी स्वयंसेवको ने  और व्यवस्था संबंधी दायित्वों का निर्वहन किया जननी और जन्म भूमि की उपासना भाव से ओतप्रोत स्वयं सेवक  राष्ट्र की उन्नति के लिए सर्वस्व त्याग करने का संकल्प व्यक्त करने वाले सैकड़ों स्वयंसेवक समारोह में पूरे मनोयोग से उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि का मार्गदर्शन प्राप्त किया अपने सभी त्योहार और जीवन में स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का संकल्प लेकर समारोह का समापन हुआ।

इस समारोह की अध्यक्षता श्री भवानी शंकर थरण जी ने किया एवं मुख्य अतिथि के रूप में संघ के प्रांत प्रचारक माननीय सुभाष जी रहे। रामप्रताप , जिलाप्रचारक राजीव नयन । अरविन्द आर्य नगर कार्यवाह। राहुल नगर प्रचार प्रमुख। संजय नगर संपर्क प्रमुख समेत अभिषेक , पंकज, मुकेश , सुनील , विवेक , रामकुवर , देवेंद्र, बंशबहादुर आदि सैकड़ो स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

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