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चैरी-चैरा शताब्दी उत्सव के अवसर पर पुस्तक मेला इतिहास का दर्शन-जिलाधिकारी

चैरी-चैरा शताब्दी उत्सव के अवसर पर पुस्तक मेला इतिहास का दर्शन-जिलाधिकारी
चैरी-चैरा शताब्दी उत्सव के अवसर पर पुस्तक मेला इतिहास का दर्शन-जिलाधिकारी
3 से 7 फरवरी मऊ पुस्तक मेले की थीम ‘‘बिन पानी सब सून

मऊ: जिला प्रशासन के सानिध्य में पर्यावरण एवं वन विभाग के सहयोग से शुरूआत समिति के माध्यम से द्वितीय मऊ पुस्तक मेले का उद्घाटन जिलाधिकारी मऊ के कर कमलों द्वारा हुआ। उद्घाटन समारोह में बिन पानी सब सून थीम पर जिलाधिकारी मऊ अमित कुमार बंशल ने अपना वक्तब्य देते हुए कहा कि चैरी-चैरा शताब्दी उत्सव के अवसर पर पुस्तक मेला संयोजित करना इतिहास का दर्शन है। पुस्तक मेले को चैरी-चैरा शताब्दी वर्ष को समर्पित किया गया है। मेले का थीम बिन पानी सब सून का जिक्र करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ में मनुष्य प्रकति के महत्व को भूला दिया है। नयी पीढ़ी प्रकृति के महत्व को समझे। इन्हीं उद््देश्यों को समर्पित यह पुस्तक मेंला पर्यावरण संरक्षण के अभियान में एक महत्पपूर्ण कदम है। 
डी एफ ओ मऊ श्री संजय विश्वाल ने कहा कि मनुष्य को  अपनी बौद्धिकता का प्रयोग प्रकृति के साथ जीने में करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण विषय है और पर्यावरण संरक्षण को समर्पित यह मेला विद्यार्थियों और नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण में भागीदारी सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि कालेज परिसर में इस मेंले को संयोजित करने का हमारा उद््देश्य यही है कि नई पीढ़ी को पर्यावरण संकट के प्रति आगाह किया जा सके।  
अध्यक्षता करते  हुए डी सी एस के पी जी कालेज के प्राचार्य डा. ए के मिश्रा ने कहा कि जल है तो जीवन है। उन्होंने कहा कि पुस्तक मेले का थीम बिन पानी सब सून उक्ति तभी चरितार्थ होगी जब सभी लोग प्राकृतिक धरोहर की महत्ता को समझेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज निरक्षर थे फिर पेड़ों में ईश्वर का वास मानते थे। और पेड़ पौधों की रक्षा करते थे। आज हम पढ़ लिख कर हमें प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट किये जा रहे हैं। हमारे पूर्वज निरक्षर थे फिरभी वे पर्यावरण और मिट्टी के मर्म को समझते थे। 
एस डी एम सी एल सोनकर ने कहा कि पुस्तक संस्कृति का उन्नयन का यह मंच मऊ के समाज का नवनिर्माण कर रहा है। जिला विद्यालय निरीक्षक राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि जो समाज पढ़ेगा वही बढ़ेगा कि अवधारणा को साकार करता मऊ पुस्तक मेला एक नयी सुबह लेकर आयेगा। 
सीटी मजिस्ट््ेट जयनारायण सचान ने कहा किताबें ही बेहतर मनुष्य बनने का मार्ग दिखाती है। सी आ ओ हंसराज यादव ने कहा कि मेला जीवन के रंग प्रकृति के संग की अवधारणा को साकार करता है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार गौतम ने कहा कि बचपन मंे किताबें थीम पर प्रतिदिन गतिविधियां आयोजित की जायेगी। डा सर्वेश पांडे ने कहा कि हिन्दी साहित्य में प्रकृति वर्णन जीवंत रचनाओं का आधार है। डा सी पी  राय ने कहा कि 4 फरवरी को विद्यार्थी इतिहास संबाद का हिस्सा बनेंगें। संस्कृतिकर्मी राजीव रंजन ने कहा कि पर्यावरण शिक्षा हमारे समय की सबसे बड़ी जरूरत है। पुस्तक मेले में प्रतिदिन पर्यावरण संरक्षण मंे नागरिक दायित्व विषय पर संवाद होगा। इस अवसर मेले के संमन्वयक विकल्प रंजन ने आयोजन का थीम सांग ना काटों मुझे बड़ा दुखता हैं.....प्रस्तुत किया।
 इस अवसर पर डा. मोहम्मद जियाउल्लाह, डा रूचिका मिश्रा, डा शकील अहमद, मनोज तिवारी, चन्द्रप्रकाश सहित सैकड़ों विद्यार्थी/शिक्षक उपस्थित थे।

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