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कुएं की छत ध्वस्त, पांच गिरे, एक की मौत

पुराघाट (मऊ) : कोपागंज थाना क्षेत्र के ग्राम सभा भदसा मानोपुर में बुधवार की सुबह 8:30 बजे एक बगीचे में ढके हुए कुंआ की छत के अचानक टूट जाने से तीन मासूमों सहित दो बुजुर्ग गहरे पानी में गिर पड़े। आनन-फानन में मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने रस्सी के सहारे कुएं में उतरकर तीन मासूमों व एक रिटायर्ड शिक्षक को तो बचा लिया, लेकिन पांचवें व्यक्ति का पता नहीं चला। पुलिस ने साढ़े चार घंटे के बचाव अभियान के बाद किसी तरह पांचवें व्यक्ति को बाहर निकाला लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

बापू इंटर कालेज कोपागंज के रिटायर्ड शिक्षक अखिलानंद राय (63) सुबह भदसा मानोपुर स्थित अपने पैतृक आवास के सामने बगीचे में पहले से ढके कुएं की छत पर बैठकर ढाई वर्ष के भतीजे अभिनंदन राय से बात कर रहे थे। इस बीच अभिनंदन के साथ खेलने के लिए पड़ोस के दो बच्चे पांच वर्षीय आद्विक शुक्ला और चार वर्षीय सौम्या शुक्ला भी पहुंच गए। तब तक गांव के 50 वर्षीय राकेश चौरसिया भी वहां आ गए। पांचों लोग आपस में बातचीत कर ही रहे थे कि तभी अचानक पटियानुमा छत ध्वस्त होकर कुएं में जा गिरी। इसके साथ ही साथ उसपर बैठे पांचों लोग गहरे कुएं के पानी में गिर गए। इनकी आवाज सुनकर आसपास के ग्रामीण दौड़ पड़े और सभी को कुएं में गिरा देख सन्न रह गए। आनन फानन में वे इन सभी को निकालने में जुट गए। गांव का एक युवक अपने शरीर में रस्सी बांधकर कुएं के अंदर पानी में भीतर तक गया और पहले दिखे तीनों बच्चों को सकुशल बाहर निकाल लाया। इसके बाद अखिलानंद राय का शरीर दिखा तो उन्हें भी वह खींच लाया। वहीं साथ गिरे राकेश चौरसिया का शरीर कुएं में ढूंढने पर भी नहीं दिखा। ग्रामीणों ने फौरन पुलिस को इसकी सूचना दी। इस बीच मौके पर ग्रामीणों की भारी भीड़ जमा हो गई। लोग अपनी समझ के अनुसार बचाव कार्य में जुटे रहे। उधर थानाध्यक्ष अजय तिवारी व सीओ घोसी रमेश कुमार सिंह कुछ ही समय में मौके पर जा पहुंचे और राहत एवं बचाव कार्य में जुट गए। एक शौचालय से पानी खींचने वाले टैंकर व डीजल इंजन के सहारे कुएं से पानी निकालने का काफी देर तक चला। कुएं में जब पानी कम रह गया तो मिट्टी में दबकर जान गंवा चुके राकेश चौरसिया के शरीर को सीढ़ी के सहारे बाहर निकाला गया। चार ने किया मौत से मुकाबला

अखिलानंद राय के पूर्वजों के हाथ से खोदवाया गया कुआं 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है। सात वर्ष पहले ही इसे पटिया की तरह छत ढालकर बंद किया गया था। बारिश की वजह से कुंआ अंदर ही अंदर लबालब था, जिसमें 20 फुट से अधिक पानी था। हादसे में बाल-बाल बचे अखिलानंद राय ने बताया कि खुद और बच्चों को बचाने में पानी के भीतर वह लगातार मौत से जूझते रहे। ग्रामीणों ने बचाने में तत्परता न दिखाई होती देर हो जाती। कहा, पानी में हम इतने घबराए थे कि राकेश नीचे कहां गया पता ही नहीं चला। कुएं की छत पर बैठे थे नौ लोग

सिर्फ पांच यही नहीं बल्कि कुछ ही देर पहले कुएं की छत पर चार और लोग बैठकर हंसी-ठहाका लगा रहे थे। हादसे से महज कुछ ही मिनट पहले चार लोग उठकर अपने घर चले गए थे, वरना हादसे का परिणाम कितना भयावह होता इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

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