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गोरखपुर रूट पर बसों की संख्या कम, यात्री परेशान

मऊ : राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-29 पर जिले से गोरखपुर की ओर जाने वाले यात्रियों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। आलम यह है कि सुबह 10 बजे के बाद से ही गोरखपुर जाने के लिए मारामारी शुरू हो जा रही है। यात्रियों को दो-तीन घंटे की प्रतीक्षा के बाद भी बसें नहीं मिल पा रही हैं। स्थानीय रेलवे स्टेशन से भी गोरखपुर के लिए सीधी सेवाएं न होने से रोडवेज पर यात्रियों का दबाव बना हुआ है, लेकिन स्थानीय डिपो प्रशासन न तो यात्रियों का आर्थिक लाभ उठा पा रहा है और न ही उनको सुविधा दे पा रहा है।
वैश्विक महामारी के चलते अधिकांश पैसेंजर ट्रेनें बंद चल रही हैं। ईएमयू पैसेंजर ट्रेन, कृषक, लिच्छवी, दादर एवं इंटरसिटी एक्सप्रेस के चलने से वाराणसी की ओर से जाने वाले यात्रियों की परेशानी तो हल हो गई है, लेकिन गोरखपुर जाने वाले यात्रियों की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। गोरखपुर जाने के लिए पूरे दिन में सिर्फ एक पैसेंजर ट्रेन डीएमयू है तो शाम 5:30 बजे मिलती है। इसके बाद सुबह से शाम तक यात्रियों का दबाव रोडवेज बस स्टेशन पर ही बना रहता है। रोडवेज बसों की स्थिति यह है कि मऊ डिपो की बसें सुबह 10 बजे के बाद गोरखपुर के लिए नहीं मिलती हैं। सोनभद्र व वाराणसी डिपो की बसें वाराणसी से आने के बाद गोरखपुर जाती हैं, जिसपर यात्री सवार होते हैं।
बसों की समस्या की स्थिति यह है कि मऊ डिपो परिसर से यात्री आटो रिजर्व कर दोहरीघाट पहुंचते हैं और आजमगढ़ से गोरखपुर जाने वाली बसों में बैठकर आगे का सफर पूरा करते हैं। लंबे इंतजार के बाद भी जब बसें नहीं मिलती हैं तो तीन-चार यात्री मिलकर आटो रिजर्व करते हैं। इससे जहां डग्गामार उनसे मुंहमांगी कीमत वसूल करते हैं, वहीं यात्रियों के काफी समय का भी नुकसान होता है। गोरखपुर रूट के लिए निर्धारित सभी पांच बसों को नियमित रूट पर भेजा जाता है। दोपहर के समय वाराणसी व सोनभद्र डिपो की बसें न आने पर यात्रियों को थोड़ी मुश्किल उठानी पड़ती है। प्रयास किया जा रहा है कि यात्रियों को सुविधा दी जा सके।

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