दरअसल, आरपी अधिनियम (रिप्रेजेन्टेशन ऑफ पीपुल एक्ट/लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराधों में कोर्ट द्वारा ये आरोप तय हुए हैं. इस तरह से देखा जाए तो ऐसे में इन मामलों में कम से कम छह महीने की सजा होने पर ये विधायक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. हालांकि, यह भी फैसला चुनाव आयोग के हाथ में है, क्योंकि चुनाव लड़ने को योग्य या अयोग्य तय करने का अधिकार चुनाव आयोग के पास है. एडीआर द्वारा जारी दागी उम्मीदवारों की रिपोर्ट में सबसे अधिक दागी विधायक भारतीय जनता पार्टी के ही हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी के 32, सपा के पांच, बसपा व अपना दल के 3-3 और कांग्रेस व अन्य दल का एक-एक विधायक शामिल है. इतना ही नहीं, रिपोर्ट के मुताबिक, इन 45 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित रहने की औसत संख्या 13 वर्ष है. इनमें से 32 विधायकों के खिलाफ दस साल या उससे अधिक समय से कुल 63 आपराधिक मामले लंबित हैं.
एडीआर रिपोर्ट में उन विधायकों की पूरी सूची है, जिनके ऊपर आरोप तय हुए हैं. इसमें यह भी बताया गया है कि किसके खिलाफ कितने साल से मामले लंबित हैं. इन सबके ऊपर मर्डर से लेकर अटेंप्ट टू मर्डर और कई तरह के आरोप हैं. इस लिस्ट में भाजपा विधायक रमाशंकर सिंह टॉप पर हैं तो वहीं बसपा विधायक और बाहुबली मुख्तार अंसारी दूसरे नंबर पर हैं, जिनके ऊपर 20 साल से अधिक समय से मामले लंबित हैं. इन पर अलग-अलग आरोप हैं.
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