मऊ पुलिस ने ट्वीट से स्पष्ट किया कि मुख्तार अंसारी जेल से रिहा नहीं हो रहे हैं। पुलिस की तरफ से ट्वीट में लिखा गया कि आईएस 91 के नाम से रजिस्टर गैंग का लीडर माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ वर्तमान समय में कुल 12 केस दर्ज हैं। इनमें गाजीपुर में 4, वाराणसी में एक, आजमगढ़ में एक, बाराबंकी में एक और मऊ में 5 केस दर्ज हैं।
मुख्तार अंसारी तीन दशक बाद पहली बार चुनाव में नहीं उतर रहे हैं। उनकी जगह मऊ सदर सीट से बेटे अब्बास अंसारी को उतारा गया है। अब्बास को सपा गठबंधन में शामिल सुभासपा ने टिकट दिया है।
मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता दारोगा सिंह के अनुसार मऊ के दक्षिण टोला थाने में 2010 में गैंगस्टर का केस दर्ज हुआ था। दारोगा सिंह ने कहा कि गैंगस्टर का मुकदमा पुलिस ही दर्ज करती है। 2010 में मुकदमे के बाद 2011 में रिमांड बना था। तबी से मुख्तार जेल में हैं।
मुख्तार की तरफ से अदालत में अर्जी देकर कहा गया था कि गैंगस्टर में दस साल से ज्यादा की सजा नहीं हो सकती। जबकि मुख्तार उससे ज्यादा जेल में रह चुके हैं। ऐसे में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। अधिवक्ता के अनुसार अदालत ने मुख्तार की अर्जी और दावों के सही पाया। मुख्तार को एक लाख के निची मुचलके पर जमानत दे दी। इसके साथ ही मुख्तार को इस मामले में छोड़ने का आदेश बांदा जेल अधीक्षक को दिया है।
रिहाई अभी संभव नहीं
मुख्तार अंसारी को भले ही गैंगस्टर मामले में जमानत मिल गई है लेकिन उनकी जेल से रिहाई फिलहाल संभव नहीं दिखती है। उन पर योगी सरकार में ही 12 मुकदमे दर्ज हुए हैं। उनके ऊपर कुल 15 मामले दर्ज हैं। पंजाब से यहां लाने के बाद ही एम्बुलेंस का फर्जी रजिस्ट्रेशन समेत कई मामलों में उनको नामजद किया गया है।
यूपी के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अभी मुख्तार अंसारी जेल से बाहर आ सकते हैं। उन्हें केवल एक मामलेे में जमानत मिली है। अन्य कई मुकदमे भी उन पर दर्ज हैं। वहीं एक अन्य पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का कहना है कि मुख्तार अंसारी को जमानत मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है।
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