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Mau:-शिव धनुष भंग,राम बारात कल


सन् 1934 में शुरू हुआ श्री श्री 1008 मड़ैया बाबा धनुष यज्ञ रामलीला अपने 89वें वर्ष में प्रवेश कर चुका हैं।सोमवार को मेले का पांचवां दिन शिव धनुष भंग व परशुराम लक्ष्मण संवाद का रहा।प्रभु राम ने जैसे  ही शिव धनु की प्रत्यंचा चढ़ाई दर्शक दीर्घा के तालियों से गड़गड़ाहट से मां तमसा का शांत जल अचनाक हिलोरें  लेने लगा। इस ठंड के मौसम में दर्शकों के बीच जैसे उर्जा का संचार सा हो गया।

शिव धनुष टूटने पर क्रोधित भगवान परशुराम के रौद्र रुप,लक्ष्मण का कटाक्ष,राम की शीतलता और अंततः राम की"क्षत्रिय होकर रण से भागू तो क्षत्रिय वंश कलंक है" तमतमाती वाणी   सहज ही दर्शकों को मोह लेने वाली रही।कल मेले के आखिरी दिन राम बारात की झांकी रामघाट से चलकर बालनिकेतन मोड़ होते हुए मड़ैया घाट तक जायेगी।

अनुश्रुतियों के अनुसार तमसा तट के मड़ैया घाट पर किसी समय तमाम संत महात्माओं का बसेरा हुआ करता था, इन्हीं साधकों में से एक थे मड़ैया बाबा।कहा जाता है मड़ैया बाबा नाम उनके मडई ( जिसे आज हम झोपडी कहते हैं) में रहने के कारण पड़ा था। स्थानीय लोगों के अनुसार मड़ैया बाबा‌ ने जीवित भू-समाधि ली थी।उन्होंने ही इस धनुष यज्ञ मेले की नींव भी रखी थी।

शहर के व्यस्त होती जिंदगी में जहां लोगों को अपनों का हाल जानने तक का समय नहीं है। वहीं शहर के बीच बसा "भीटी गांव" अपनी सभ्यता को संरक्षित रखने में आज हमारे सामने एक प्रेरणा हैं।जी हां! गांव ही इस इलाके के लिए उपयुक्त शब्द होगा, इसने  जैसे अपनी संस्कृति को सुरक्षित और पूर्वजों के संस्कारों को स्वयं में समाहित रखा हैं भीटी गांव ही इसका सही नाम होगा।

परशुराम की भूमिका निभा रहे राजेश सिंह जी उत्तराखंड राज्य के डीडीहाट में राजकीय इंटर कालेज के प्रधानाचार्य हैं जो इस मेले में इस अभिनय के लिए 900 किमी की यात्रा कर के यहां पहुंचे।इनके अतिरिक्त भाजपा जिलाध्यक्ष संतोष सिंह पुन्नू,प्रबंधक राम स्वरूप भारती रामाश्रय सिंह,प्रबंधक शिव शंकर सिंह महाविद्यालय आजमगढ़ श्याम नारायण सिंह,व्यवसायी देवेन्द्र सिंह, मातादीन प्रजापति,गौरव,शुभम आदि लोग उपस्थित रहे।

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