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बर्ड फ्लू को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व चिकित्सकों ने दी जानकारी

बर्ड फ्लू को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व चिकित्सकों ने दी जानकारी

मऊ:- देश से अभी कोरोना का संकट टला ही नहीं कि बर्ड फ्लू ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। हिमाचल प्रदेश में एच0 5 एन0 1, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात और केरल में एच0 5 एन0 8 नाम से इस बीमारी की पुष्टि हो रही है। यह बीमारी वायरस की वजह से फैलती है। इससे कैसे सुरक्षित रहें, क्या करें और क्या न करें। इसके संदर्भ में चिकित्सकों ने जानकारी दी है।
मुख्य चिकित्सा आधिकारी डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि पक्षियों के वायरस के खतरे से बचने के लिए व्यक्ति को इनके साथ सीधे संपर्क में नहीं आना चाहिए। डोमेस्टिक पोल्ट्री फार्म के पक्षियों के वायरस की जद में आने के बाद इंसान के बीच इसके फैलने की संभावना बढ़ जाती है। पक्षियों के मल, लार, नाक-मुंह या आंख से स्राव के संपर्क में आने से भी यह बीमारी इंसानों में फैल सकती है। के लिए सभी उचित दवाइयां हॉस्पिटल से लेकर स्टोर तक उपलब्ध है साथ ही जिला अस्पताल स्थित संक्रामक रोग वार्ड को एहतियात के तौर पर बर्ड फ्लू वार्ड में बदल दिया गया है।
उन्होंने  बताया कि कच्चा मांस वाली सतह, पोल्ट्री फार्म या दुकानों पर किसी वस्तु या सतह को छूने से बचें, हाथों पर ग्लव्स और मुंह पर मास्क जरूर पहनें। कच्चा मांस या अंडा भी किसी इंसान को संक्रमित कर सकता है। आप किसी दूषित या अंजान सतह के माध्यम से भी वायरस की चपेट में आ सकते हैं। किसी भी चीज को छूने के बाद हाथों को तुरंत सैनिटाइज करें।
सीएमओ ने बताया कि किसी भी पक्षियों को खुले हाथों से न पकड़ें, उनसे निश्चित दूरी बनाकर रखें। छत पर रखी टंकियों, रेलिंग्स या पालतू पक्षियों के पिजरों को डिटर्जेंट से अच्छी तरह साफ करें। पक्षियों के मल या संबंधित जगह पर फैले पंख या कचरे को सावधानी से साफ करें। एच0 5 एन0 1 से ग्रसित पक्षी करीब 10 दिनों तक मल या लार के जरिए वायरस रिलीज कर सकता है। किसी प्रकार की समस्या आने पर निकटतम सरकारी अस्पताल पर चिकित्सक से संपर्क करें  यहाँ पर सभी प्रकार की जाँच व इलाज  निःशुल्क है। आयुष विभाग के डॉ संतोष चैरसिया ने बताया कि भारत में अधिकतर जगहों पर मिल रहे संक्रमित पक्षियों की रिपोर्ट में एच0 5 एन0 8 की पुष्टि हो रही है जो पक्षियों के लिये खतरनाक है, वहीं मनुष्य के लिये घातक एच0 5 एन0 1 पक्षियों के माध्यम से घातक वायरस व्यक्तियों में फैलता है, हिमांचल के पक्षियों में इसके संक्रमण की पुष्टि हुई है। ऐसी स्थिति में शाकाहार सर्वोत्तम आहार है, बहुत जरुरी हो तो चिकन को करीब 100डिग्री सेल्सियस से ऊपर ताप पर पकाएं। कच्चा मांस या कच्चा अंडा खाने की गलती न करें। यह वायरस ताप के प्रति संवेदनशील है और कुकिंग टेंपरेचर में नष्ट हो जाने की सम्भावना रहती है। कच्चा या अधपका मांस या अंडों को न खाएं उसे खाने की दूसरी चीजों से अलग रखें। प्रभावित इलाकों में जाने से बचें। घर में किसी संक्रमित व्यक्ति से भी निश्चित दूरी बनाकर रखें। हाइजीन-हैंडवॉश जैसी बातों का खास ख्याल रखें। योग (चिकित्सक के परामर्श पर), व्यायाम, टहलना आदि करें।

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