परिवर्तनशील समय के साथ इस मंच ने अपने कई श्रेष्ठ कालाकारों को भी खोया हैं। जिनमें से एक थे संगीताचार्य स्व. विजय बहादुर सिंह। संगीताचार्य जी अपने भाव भंगिमाओं और स्वर के मधुर आलाप से दर्शक दीर्घा का मन इस प्रकार मोह लेते थे जैसे दर्शक स्वर लहरियों में खोने से लगते थे।समय का प्रवाह कहां खो जाता था दर्शकों को इसका भान तक न होता था।ऐसे ही एक कलाकार स्व. बच्चा शर्मा भी थें जो किसी भी पात्र के साथ ढल से जाते थें।
आज राम स्वरूप भारतीय के प्रबंधक और तमसा तट के भगीरथ रामाश्रय सिंह ने रंगमंच पूजन के साथ मेले का शुभारंभ किया।यह मेला सात दिवसीय हैं। जिसमें सर्वाधिक प्रचलित चौथे दिन का ताड़का वध, पांचवें दिन की फुलवारी और छठे दिन का लक्ष्मण-परशुराम व रावण-वाणासुर संवाद हैं। सातवे दिन रामघाट भीटी से होते हुए बालनिकेतन व मडैया घाट तक राम बारात की आकर्षक झांकी निकाली जाती हैं।आज पूजन के अवसर पर रामलीला समिति के अध्यक्ष अवध बिहारी सिंह, कोषाध्यक्ष राजेश सिंह,पवन सिंह,रास बिहारी सिंह' नाहर', श्याम नारायण सिंह'नन्हें',संजय सिंह,मातादीन प्रजापति, संतोष कुमार सिंह,संजय सिंह, देवेन्द्र सिंह आदि लोग उपस्थित रहे। ं
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